अखिलेन्द्र मिश्रा भारत के सुप्रसिद्ध फिल्म, टेलीविजन और रंगमंच अभिनेता हैं। भारतीय सिनेमा में उनका योगदान उल्लेखनीय है और उन्हें बॉलीवुड के सबसे लोकप्रीय अभिनेताओं में से एक के रूप में जाना जाता है। अखिलेन्द्र मिश्रा के अपने अभिनय सिद्धांत हैं जो उन्हें हर चरित्र में एक अभिनेता के रूप में विकसित करते हैं।
एक अभिनेता के रूप में उन्होंने हमेशा अपनी भूमिकाओं के लिए अभिनय में एक नया आयाम प्रयोग किया है। वह हमेशा अपने पात्रों को जीवंत बनाने का प्रयास करते हैं, चाहे वह भूमिका सकारात्मक हो, नकारात्मक हो या हास्य हो। अखिलेन्द्र ने हमेशा अपने अभिनीत किरदार को बखूबी जिया है। किरदार चाहे छोटा हो या बड़ा, उनके अभिनय का असर ऐसा होता है जो दर्शाकों के मन में एक सशक्त प्रभाव छोड़ता है। यही कारण है कि अखिलेन्द्र द्वारा अभिनीत हर भूमिका को दर्शक सालो तक याद रखते हैं।
अखिलेन्द्र मिश्रा दुनिया भर के उन कलाकारों में से एक हैं जो अपनी आवाज़ के लिए जाने जाते हैं। उनकी वॉइस-मॉड्यूलेशन की समझ और प्रत्येक चरित्र में उसका प्रयोग असाधारण है। 1990 के दशक में उन्होंने टेलिविज़न श्रृंखला चंद्रकांता (दूरदर्शन) में “क्रूर सिंह” का किरदार निभाया था। वह एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्होंने एक ध्वनी (यक्क) को तकियाकलाम के रूप में सभी नव-रसों में प्रयोग किया। बाद में यह ध्वनि लोकप्रिय शब्द “यक्कू” बन गयी जिसका बखूबी इस्तेमाल अखिलेन्द्र जी ने क्रूर सिंह का चरित्र निभाते हुए डायलॉग डिलीवरी में किया।
अखिलेन्द्र मिश्रा ने बहुआयामी भूमिकाओं को बखूबी निभाया है। चाहे वो धार्मिक से ऐतिहासिक, फंतासी से यथार्थवादी, क्रांतिकारी से सामाजिक, सकारात्मक से नकारात्मक, खलनायक से हास्य चरित्र क्यों न हो। अखिलेन्द्र मिश्रा का अभिनय-क्षितिज काफी प्रभावशाली और जीवन्त है।
इस अभिनेता का मानना है कि सिनेमा समाज को अन्धकार से प्रकाश की तरफ ले जाता है।
अखिलेन्द्र मिश्रा कहते हैं –
“अभिनेता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व है!”
“अभिनय आध्यात्मिक साधना है!”
“रंगमंच आध्यात्मिक यात्रा है!”
“सिनेमा आध्यात्मिक दृष्टि है!”
जन्म की तारीख
5 जुलाई 1964
अखिलेन्द्र मिश्रा कई पुरस्कृत और सफल फिल्मों का हिस्सा रहे हैं । सरफरोश, लगान, अंतरद्वन्द, द लीजेंड ऑफ भगत सिंह, वीर-जारा, गंगाजल, दिल्ली 6, दो दूनी चार समेत उनके क्रेडिट में कई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्में शामिल हैं। इनमे से लगान अकादमी पुरस्कार में बेस्ट फॉरेन-फिल्म केटेगरी में नामान्कीत हुई थी। वह हमेशा अपनी भूमिकाओं और फिल्मों के चयन के बारे में चुनिंदा रहते हैं। उन्होंने हमेशा अपने चरित्र के चयन पर ध्यान दिया और यह कि फिल्म में उनकी भूमिका फिल्म की कहानी को कैसे प्रभावित करती है। इसीलिए अपने अभिनय से उन्होंने हमेशा सशक्त प्रभाव छोड़ा है; चाहे वह एक छोटी भूमिका हो या बड़ी भूमिका।
अखिलेन्द्र मिश्रा हमेशा सेल्यूलॉयड पर चरित्र को जीवंत बनाने का प्रयास करते हैं। इसीलिए वह अपने प्रशंसकों के बीच अपने मूल नाम से ज़्यादा अपने निभाए चरित्रों के नाम से अधिक लोकप्रिय हैं।
फिल्म का नाम | निर्देशक |
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धारावी | सुधीर मिश्रा |
राधा का संगम | कीर्ति कुमार |
दो आंखें बारह हाथ | कीर्ति कुमार |
मैं आज़ाद हूं | टीनू आनंद |
बेदर्दी | कृष्ण कांत पांड्या |
वीरगति | के. के. सिंह |
सरफ़रोश | जॉन मैथ्यू मथान |
तरकीब | इस्माइल श्रॉफ |
लगान | आशुतोष गोवारिकर |
आंच | राजेश सिंह |
लाल सलाम | गगन बिहारी |
दी लीजेंड ऑफ भगत सिंह | राजकुमार संतोषी |
मुंबई से आया मेरा दोस्त | अपूर्व लाखिया |
प्यासा | मुटू |
खेल | यूसुफ खान |
ये दिल | तेजा |
गंगाजल | प्रकाश झा |
शिखर | जॉन मैथ्यू मथान |
अपहरण | प्रकाश झा |
फ़िदा | केन घोष |
हलचल | प्रियदर्शन |
परवाना | दीपक बाहरी |
उत्थान | उज्ज्वल चटर्जी |
निगेहबान | दिलीप शंकर |
वीर-ज़ारा | यश चोपड़ा |
मूसा | हिमांशु ब्रह्मभट्ट |
एक अजनबी | अपूर्व लाखिया |
राम जी लंदन वाले | संजय दायमा |
भूत अंकल | नीरज पाठक |
शूटआउट एट लोखंडवाला | अपूर्व लाखिया |
सिद्धू (कन्नड़) | महेश |
गुजरात नो नाथ (गुजराती) | अजीत झाला |
आजा नचले | अनिल मेहता |
द्रोणा | गोल्डी बहल |
दिल्ली 6 | राकेश ओमप्रकाश मेहरा |
चमकू | कबीर कौशिक |
गुड़िया की कहानी | प्रभाकर शुक्ला |
अतिथि तुम कब जाओगे! | अश्विनी धीर |
दो दूनी चार | हबीब फैसल |
केडी (तेलुगू) | किरण कुमार |
अंतरद्वन्द | सुशील राजपाल |
रेडी | अनीस बज़्मी |
मेरिड टू अमेरिका | दिलीप शंकर |
गली गली चोर है | रूमी जाफरी |
लतीफ | इस्रार अहमद |
या रब | हसनैन हैदराबादवाला |
चक्रधार | धर्मप्रकाश और शकूर मास्टर |
ग्लोबल बाबा | मनोज तिवारी |
मुआवज़ा | गिरीश जुनेजा |
रोल नंबर 56 (गुजराती) | भाविन त्रिवेदी |
काबिल | संजय गुप्ता |
अंजनी पुत्र (कन्नड़) | ए. हर्ष |
बिल्लू उस्ताद | सुवादान अंग्रे |
जन्म की तारीख
5 जुलाई 1964
अखिलेन्द्र मिश्रा ने 80 के दशक में कबीर, भारत एक खोज, उड़ान, कयर (दूरदर्शन) में बहुत छोटी भूमिकाओं के साथ अपने टेलिविज़न करियर की शुरुआत की। चंद्रकांता में क्रूर सिंह (यक्कू) की भूमिका के साथ अखिलेन्द्र मिश्रा घर-घर में जाना-पहचाना चेहरा बन गए। यह मेगा सीरियल 1994-1996 में दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था।
सीरियल का नाम | निर्देशक |
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कबीर | अनिल चौधरी |
भारत एक खोज | श्याम बेनेगल |
उड़ान | कविता चौधरी |
अपनी-अपनी बंसी, अपना-अपना राग | रमन कुमार |
कयर | एम. एस. सथ्यू |
चंद्रकांता | नीरजा गुलेरी और सुनील अग्निहोत्री |
रामायण (2008) | शिवदत्त शर्मा (सागर कला) |
जीत जायेंगे हम | एडिट 2 प्रोडक्शन |
महादेव | निखिल सिन्हा |
महाभारत (2014) | स्वास्तिक प्रोडक्शन |
तू मेरा हीरो | शशि-सुमित प्रोडक्शन |
खटमल-ए-इश्क | अश्विनी धीर |
प्यार के पापड़ | पैनॉरामा प्रोडक्शन और रंगबाज प्रोडक्शन |
जन्म की तारीख
5 जुलाई 1964
“अभिनेता आध्यात्मिकता के बिना कुछ नहीं है!” अखिलेन्द्र मिश्रा एक अभिनेता के हर अभिनय में आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं। उनका मानना है कि आध्यात्म के बिना अभिनय में कुछ भी नहीं है। अखिलेंद्र मिश्रा का मानना है; “रंगमंच एक आध्यात्मिक यात्रा है”। अखिलेंद्र मिश्रा कहते हैं, प्रत्येक अभिनेता को थिएटर में बैक-स्टेज (नेपथ्य) करना अति-आवश्यक है।
अखिलेन्द्र मिश्रा ने बिहार के अपने मूल गांव कोल्हुआँ, दरौदा, सीवान से शौकिया रंगमंच शुरू किया। बाल कलाकार के रूप में उनका पहला नाटक “गौना के रात” (भोजपुरी) था। इसके बाद, उन्होंने कई हिंदी नाटक किए और बिहार के छपरा में एमेच्योर ड्रामैटिक एसोसिएशन के साथ थियेटर शुरू किया।
छपरा में उनका पहला नाटक शरद जोशी द्वारा लिखित और डॉ. रसिक बिहारी वर्मा द्वारा निर्देशित “एक था गधा उर्फ अलादाद ख़ान” था। यह सिलसिला कुछ वर्षों तक यूँ ही चलता रहा और फिज़िक्स में स्नातक की ऑनर्स डिग्री लेने के बाद अखिलेन्द्र मिश्रा IPTA मुंबई (इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन) के साथ जुड़ गए (सितम्बर 1983)। बाद में वे “एकजुट थिएटर” ग्रुप के साथ भी जुड़े।
अखिलेन्द्र मिश्रा ने पेशेवर रंगमंच शुरू किया और थिएटर में बैक-स्टेज वर्क के महत्व को महसूस किया जो अभिनय की हर शैली के साथ एक अभिनेता को पोषित करता है। जब एक अभिनेता एक नाटक में भूमिका निभाता है, तो वह केवल अपने चरित्र के बारे में ही सोचता है और उसको जीता है। दूसरी तरफ, जब एक अभिनेता एक नाटक में बैक-स्टेज करता है, तो वह सभी रिहर्सल का साक्षी बनता है और सभी पात्रों के बारे में सोचता है और उनको जीता है।
इस प्रक्रिया के साथ 24 घंटों के बाद वह कलाकार दूसरे अभ्यास में भाग लेता है, फिर अगले 24 घंटों के बाद तीसरे अभ्यास में भाग लेता है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक सारे रहर्सल पूरे नही हो जाते। यह अभ्यास 30-50 दिनों तक जारी रहता है, जब तक कि नाटक की पहली प्रस्तुति का मंचन न हो जाए।
इसी प्रक्रिया के साथ अखिलेन्द्र मिश्रा भी गुज़रे और एक अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने बैक-स्टेज, फिर भीड़ के दृश्यों के साथ शुरुआत की, वन-लाइनर रोल्स से आगे बढ़ते हुए छोटी भूमिकाएं, फिर बड़ी भूमिकाएं और अंत में मुख्य भूमिकाएं निभाते गये। अखिलेन्द्र मिश्रा रंगमंच से पोशित एक ऐसे अभिनेता हैं जो हर रंगकर्मी के लिए एक उधारण हैं।
नाटक का नाम | निर्देशक |
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गौना के रात | ठाकुर राम |
एक था गधा उर्फ अलादाद ख़ान | डॉ. रसिक बिहारी वर्मा |
एक ही रास्ता | मो. ज़कारिया |
राक्षस | एम. एस. सथ्यू |
बकरी | एम. एस. सथ्यू |
सफेद कुंडली | एम. एस. सथ्यू |
मोटेराम का सत्याग्रह | एम. एस. सथ्यू |
बाले-उई-रे | एम. एस. सथ्यू |
द बॉय एंड द ट्रोल | गुंटर वेत्ज़ेल |
खूब मिलाई जोड़ी | राजेंद्र गुप्ता |
हमाम तुझे सलाम | बी. एम. व्यास |
खजूर मे अटका | जयरूप जीवन |
चरणदास चोर | नादिरा बब्बर |
सूर्यास्त | प्रेम श्रीवास्तव |
36 घंटे | रेणु |
चीना की हसीना | अतुल तिवारी |
एक और द्रोणाचार्य | सुभाष बी. डॅंगाईच |
घोड़ा | राजेंद्र मेहरा और रमेश राजहंस |
अलका के बाल-बच्चे | रमेश राजहंस |
कबीरा खड़ा बाज़ार में | रमेश राजहंस |
नीलाम | सुरेन्द्र गुप्ता |
24 घंटे | सुरेन्द्र गुप्ता |
बलि | शिवदास घोडके |
चाणक्य | मनोज जोशी |
जन्म की तारीख
5 जुलाई 1964
ऑनर एवं अवॉर्ड्स | वर्ष |
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श्यामा प्रसाद मुखर्जी महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और यूजीसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में “मीडिया, मिशन, प्रोफ़ेशन, सेन्सेशॅन और कमीशन ” पर वक्तव्य। | 2019 |
नैनीताल संगोष्ठी में “साहित्य और मीडिया” पर वक्तव्य। हिंदी विभाग, रामानुजन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय और यूजीसी, भारत सरकार द्वारा आयोजित। | 2019 |
“छायावाद – एक पुनरपाठ”, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अध्यक्ष्ता। | 2019 |
11 वें राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव 2019 में थिएटर और अभिनय पर मास्टर; अनुकृति रंगमंडल, कानपुर। | 2019 |
11 वें राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव 2019 में मुख्य अतिथि; अनुकृति रंगमंडल, कानपुर। | 2019 |
हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2019। | 2019 |
थिएटर और अभिनय पर मास्टर क्लास। अभिनय रंगमंच; हिसार, हरियाणा। |
2019 |
“मुशायरा” – लिटरेचर फेस्टिवल, 2019; हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय। | 2019 |
“साहित्य, मीडिया और शिक्षा” पर वक्तव्य। हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय; मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार और रामानुजन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित। | 2019 |
विश्व हिंदी अकादमी, मुंबई द्वारा साहित्य और सिनेमा संगोष्ठी का आयोजन। | 2018 |
खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2018 – सिनेमा में योगदान के लिए सम्मानित। | 2018 |
IIT कानपुर अंतराग्नि महोत्सव – नाटक प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल के रूप में। | 2018 |
IPTA75 प्लेटिनम जुबली उत्सव, पटना – थिएटर, सिनेमा, साहित्य, कला, संस्कृति और अभिनय पर वक्तव्य। | 2018 |
श्रीनाथ बी.एड कॉलेज में “शिक्षा, साहित्य और भाषा” विषय पर वक्तव्य; जमशेदपुर, झारखंड। | 2018 |
पहला झारखंड राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव | 2018 |
गोरखपुर लिटरेचर फेस्टिवल – भाषा और साहित्य पर वक्तव्य। | 2018 |
एक्सलेन्स इन सिनेमा अवॉर्ड, लेक सिटी इंटरनॅशनल फिल्म फेस्टिवल, आई. टी. एम. यूनिवर्सिटी, ग्वालियर, एम. पी. | 2018 |
बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर अवॉर्ड फॉर फिल्म “बिल्लू उस्ताद” – झारखंड इंटरनॅशनल फिल्म फेस्टिवल, राँची, झारखंड | 2018 |
ज्यूरी-चेयरपर्सन एट कदर फिल्म फेस्टिवल (ऑनलाइन) | 2018 |
चीफगेस्ट एट राजस्थानी सम्मेलन एजुकेशन ट्रस्ट, सर्वोदय स्कूल, मुंबई | 2018 |
अवॉर्ड ऑफ एक्सलेन्स एंड कॉंट्रिब्यूशन टुवर्ड्स इंडियन सिनेमा – हरियाणा इंटरनॅशनल फिल्म फेस्टिवल, कुरुक्षेत्र, हरियाणा | 2017 |
ज्यूरी-मेंबर एट 2nd हरियाणा इंटरनॅशनल फिल्म फेस्टिवल, हिसार, हरियाणा | 2017 |
हिन्दी सेवा सम्मान, मालवा मंच, उज्जैन, एम. पी. | 2017 |
हिन्दी सेवा सम्मान, मालवा मंच, इंदौर, एम. पी. | 2017 |
महाराष्ट्र प्रेस्टीजियस रत्ना अवॉर्ड, आपकी-आवाज़ फाउंडेशन, मुंबई | 2017 |
ऑनर्ड एट बोधीसत्व इंटरनॅशनल फिल्म फेस्टिवल 2017 (बिहार..एक विरासत – कला एवं फिल्म महोत्सव), पटना, बिहार | 2017 |
चीफगेस्ट एट युवा महोत्सव, मीठीबाई कॉलेज, मुंबई | 2017 |
गेस्ट स्पीकर एट “जश्न-ए-अदब”, लिट्रेचर फेस्टिवल, नई दिल्ली | 2017 |
गेस्ट एट ऐनुअल फेस्टिवल KIIT यूनिवर्सिटी, भुबनेश्वर, उड़ीसा | 2017 |
चीफगेस्ट ऑन हिन्दी दिवस एट कंट्रोल एंड ऑडिट डिपाट्मॅन्ट., गवर्नमेंट ऑफ इंडिया, मुंबई | 2017 |
जाभानी साहित्य अकॅडमी सम्मान, बीकानेर, राजस्थान (हिन्दी डिपार्टमेंट, मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई) | 2016 |
उत्तर-भारतिय गौरव पुरस्कार, पिंपरी-चिंचवट-पुणे, महाराष्ट्र | 2016 |
ऑनर्ड एट पटना फिल्म फेस्टिवल, गवर्नमेंट ऑफ बिहार | 2016 |
महर्षी दयानन्द सरस्वती – आर्य युवा गोष्ठी सम्मान, मुंबई | 2016 |
ऑनर्ड एट कला एवं फिल्म महोत्सव 2016 (बिहार..एक विरासत – ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन), पटना, बिहार | 2016 |
ऑनर्ड एट हौसला 2016 (ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन), मुंबई | 2016 |
चीफगेस्ट एट “सत्त्वा” फेस्टिवल मुकेश पटेल टेक्नॉलजी एंड मॅनेज्मेंट कॉलेज, मुंबई | 2016 |
गेस्ट स्पीकर एट नेशनल कॉन्फ़रन्स ऑन इंडियन सिनेमा, JNU, दिल्ली | 2016 |
गेस्ट स्पीकर एट द डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज़म एंड मास-कम्यूनिकेशन, लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ | 2016 |
गेस्ट स्पीकर ऑन हिन्दी दिवस एट विश्व हिन्दी अकॅडमी, मुंबई | 2016 |
स्टार-परिवार अवॉर्ड, स्टार टीवी फॉर टीवी सीरियल “तू मेरा हीरो” | 2015 |
गेस्ट एट डिपार्टमेंट ऑफ मास-मीडिया, ठाकुर कॉलेज, मुंबई | 2015 |
फेसिलिटेटेड एंड रेकग्नाइज़्ड बाई द इन्स्टिट्यूट कल्चरल काउन्सिल एंड 4th-वॉल, द ड्रमॅटिक्स क्लब ऑफ IIT बॉमबे | 2014 |
गेस्ट लेक्चरर एट फिल्म स्कूल, रोहतक, हरियाणा | 2014 |
हिन्दी सेवा सम्मान, विश्व हिन्दी अकॅडमी, मुंबई | 2013 |
100 इयर्स ऑफ इंडियन सिनेमा – कॉंट्रिब्यूशन इन द जर्नी ऑफ इंडियन सिनेमा | 2013 |
गेस्ट एट ऐनुअल-फेस्ट, साउथ इंडिया एजुकेशनल सोसाइटी, नेरूल, महाराष्ट्र | 2012 |
जन्म की तारीख
5 जुलाई 1964